नेमिनाथ जिन सिद्ध भये,
सिद्ध क्षेत्र गिरिनार ।
मन वच तन कर पूजहूूँ,
भव दधि पार उतार ।।
ओं ह्रीं श्री नेमिनाथ जिनेंद्रादी शंबू प्रद्युम्न अनिरुद्ध इत्यादि ७२ करोड़ ७ सौ मुनी गिरनार पर्वत से मोक्ष गये तिनके चरणारबिंद को मेरा मन वचन काय से सविनय पूर्वक बारंबार नमस्कार हो ।। २४ ।।