कुंथनाथ जिनराज का,
कूट ज्ञान धरजेह ।
मन वच तन कर पुजहू,
शिखर सम्मेद यजेह ।।
ओं ह्रीं श्री कुंथनाथ जिनेन्द्रादि मुनी ९६ कोडा कोडी ९६ करोड़ ३२ लाख ९६ हजार ७४२ मुनी इस कूट से सद्ध भये तिनके चरणारबिन्द को मेरा मन वचन काय से बारंबार नमस्कार हो ।