विमलनाथ जिनराज का,
कूट सुवीर है जेह,
मन वच तन कर पूजहूूँ,
शिखर सम्मेद यजेह ।।
ओं ह्रीं श्री विमलनाथ जिनेंद्रादी मुनी ७० कोड़ा कोड़ी ६० लाख ६ हजार ७४२ मुनी इस कूट से शिवपूर पधारे तिनके चरणारबिंद को मेरा मन वचन काय से विनय पूर्वक बारंबार नमस्कार हो ।