आया, आया, आया तेरे दरबार में

आया, आया, आया तेरे दरबार में त्रिशला के दुलारे
अब तो लगा मझदार से यह नाव किनारे ॥

अथा संसार सागर में फ़ंसी है नाव यह मेरी
फ़ंसी है नाव यह मेरी
ताकत नहीं है और जो पतवार संभारे ॥ अब तो...

सदा तूफ़ान कर्मों का नचाता नाच है भारी
नचाता नाच है भारी
सहे दुख लाख चौरासी नहीं वो जाते उचारे ॥ अब तो...

पतित पावन तरण तारण, तुम्हीं हो दीन दुख भन्जन
तुम्हीं हो दीन दुख भन्जन
बिगडी हजारों की बनी है तेरे सहारे ॥ अब तो...

तेरे दरबार में आकर न खाली एक भी लौटा
न खाली एक भी लौटा
मनोरथ पूर दें ’सौभाग्य’ देता ढोक तुम्हारे ॥ अब तो...