भव भव रुले हैं

तर्ज: चुप चुप खड़े हो...
भव भव रुले हैं, न पाया कोई पार है
तेरा ही आधार है तेरा ही आधार है ॥

जीवन की नाव यह कर्मों के मार से
उलझी है बीच बीच गतियों की मार से
रही सही पतिका तू ही पतवार है ।।१।। तेरा ही...

सीता के शील को तुने दिपाया है
सूली से सेठ को आसन बिठाया है
खिली खिली कलि सा किया नाग हार है ।।२।। तेरा ही...

महिमा का पार जब सुर नर ना पा सके
'सौभाग्य' प्रभु गुण तेरे क्या गा सके
बार बार आपको सादर नमस्कार है ।।३।। तेरा ही...