गगन मंडल में उड जाऊं

गगन मंडल में उड जाऊं,
तीन लोक के तीर्थ क्षेत्र सब वंदन कर आऊं ॥

प्रथम श्री सम्मेदशिखर पर्वत पर मैं जाऊं,
बीस टोंक पर बीस जिनेश्‍वर चरण पूज ध्याऊं ॥

अजित आदि श्री पार्श्वनाथ प्रभु की महिमा गाऊं,
शाश्‍वत तीर्थराज के दर्शन करके हर्षाऊं ॥

फ़िर मंदारगिरि पावापुर वासुपूज्य ध्याऊं,
हुए पंचकल्याणक प्रभु के पूजन कर आऊं ॥

ऊर्जयंत गिरनार शिखर पर्वत पर फ़िर जाऊं,
नेमिनाथ निर्वाण क्षेत्र को वंदूं सुख पाऊं ॥

फ़िर पावापुर महावीर निर्वाणपुरी जाऊं,
जलमंदिर में चरण पूजकर नाचूं हर्षाऊं ॥

फ़िर कैलाश शिखर अष्टापद आदिनाथ ध्याऊं,
ऋषभदेव निर्वाण धरा पर शुद्ध भाव लाऊं ॥

पंच महातीर्थों की यात्रा करके हर्षाऊं,
सिद्धक्षेत्र अतिशय क्षेत्रों पर भी मैं हो आऊं ॥

तीन लोक की तीर्थ वंदना कर निज घर आऊं,
शुद्धातम से कर प्रतीति मैं समकित उपजाऊं ॥

फ़िर रत्नत्रय धारण करके जिन मुनि बन जाऊं,
निज स्वभाव साधन से स्वामी शिवपद प्रगटाऊं ॥