झीनी झीनी उडे रे गुलाल, चालो रे मंदरिया में।
चालो रे मंदरिया में, चालो रे मंदरिया में ॥
म्हारा तो गुरुजी आतमज्ञानी,ज्ञान की जिसने ज्योत जगा दी
ज्ञान का भरा रे भंडार, चालो रे मंदरिया में ॥
वीर प्रभु जी दया के सागर, महावीर प्रभु जी दया के सागर
शीश झुकाऊं बारम्बार, चालो रे मंदरिया में ॥
वीर प्रभु के चरणों में आये, आकर चरणों में शीश नवाये
हो रही जयजयकार, चालो रे मंदरिया में ॥