महिमा है, अगम जिनागम

महिमा है, अगम जिनागम की ॥टेक॥

जाहि सुनत जड़ भिन्न पिछानी,
हम चिन्मूरति आतम की महिमा है ॥

रागादिक दु:ख कारन जानैं,
त्याग बुद्धि दीनी भ्रम की महिमा है ।२।

ज्ञान-ज्योति जागी उर अन्तर,
रुचि बाढ़ी पुनि शम-दम की महिमा है ।३।

कर्मबंध की भई निरजरा,
कारण परम पराक्रम की महिमा है।४।

’भागचन्द’ शिव-लालच लाग्यो,
पहुँच नहीं है जहँ जम की महिमा है ।५।