तर्ज: ओ बसंती पवन पागल...
ओ जगत के शांतिदाता, शांति जिनेश्वर,
जय हो तेरी॥टेक॥
मोह माया में फ़ंसा, तुझको भी पहिचाना नही।
ज्ञान है ना ध्यान दिल में धर्म को जाना नहीं।
दो सहारा, मुक्तिदाता, शांति जिनेश्वर, जय हो तेरी.....॥
बनके सेवक हम खडे हैं, आज तेरे द्वार पे।
हो कृपा जिनवर तो बेडा, पार हो संसार से।
तेरे गुण स्वामी मैं गाता, शांति जिनेश्वर, जय हो तेरी.....॥
किसको मैं अपना कहूं, कोई नजर आता नहीं।
इस जहां में आप बिन कोई भी मन भाता नहीं।
तुम ही हो त्रिभुवन विधाता, शांति जिनेश्वर, जय हो तेरी...॥