वर्तमान को वर्धमान की आवश्‍यकता

हर आत्मा दुखी है, सुख शांति खो चुकी है,
परदृष्टि होके व्याकुल, महावीर पे रुकी है
महावीर... महावीर...महावीर...महावीर...
हिंसा पीडित विश्व राह महावीर की तकता है,
वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता है
पापों के दलदल में फ़ंसकर धर्म सिसकता है, वर्तमान...

हिंसा के बादल छायें संसार पर,
सर्वनाश के दुनिया खडी कगार पर
नहीं शास्त्रों में अब शस्त्रों में होड है,
मानवता रोती है अपनी हार पर
महावीर ही पथभूलों को समझा सकता है, हिंसा पीडित …॥

बांधो प्रभु को भक्ति भाव की डोर से,
करो प्रार्थना सब जीवों की ओर से
वीतराग व्यथितों के दुख पर ध्यान दें,
हमको करे कृतार्थ कृपा की कोर से
प्रभु के नयनों से करुणा का नीर झलकता है, हिंसा पीडित ॥

वर्धमान के आदर्शों पर ध्यान दो,
हितोपदेशों को अंतर में स्थान दो।
तुम जिसके वंशज जिसकी संतान हो,
होकर एक उसे पूरा सम्मान दो।
मिलकर जीने में ही जीवन की सार्थकता है, हिंसा पीडित… ॥

महामोहांतक-प्रशमनःप्राकस्मिक-भिषङ,
निरापेक्षो बन्धुर्विदित-महिमा मङ्गलकरः।
शरण्यः साधूनां भव भयभृतामुत्तमगुणो,
महावीर स्वामी नयन-पथ-गामी-भवतुममे॥

वह आये तो हर संकट को प्राण हो,
अभय सुरक्षित सर्व सुखी हर प्राण हो।
जियो और जीने दो के महामंत्र से,
विश्व शांति पाये सबका कल्याण हो।
प्रभु की मृदु वाणी में आध्यामिक मादकता है,हिंसा पीडित ॥

महावीर... महावीर...महावीर...महावीर...
वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता है ...